फर्रुखाबाद. उत्तर प्रदेश की जेलों के अंदर हत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसी क्रम में फर्रुखाबाद सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी ने साथी कैदी का सिर ईंट से कूचकर हत्या कर दी. हत्या आरोपित मृतक कैदी का रिश्तेदार बताया जा रहा है. जेल प्रशासन की मानें तो दोनों एक साथ एक ही बैरक में सो रहे थे. इसी दौरान आरोपित ने कच्ची दीवार से ईंट उखाड़ कर उसका सिर कुचल दिया. वहीं जेल के अंदर हुई एक और हत्या ने जेल की सुरक्षा व्यवस्थाओं की पोल खोलकर रख दी है.
सेन्ट्रल जेल में मौत के घाट उतारे गये कैदी गौरी शंकर की रिहाई आगामी 26 जनवरी को की जानी थी. उसका सूची में नाम भी था क्योंकि जेल में उनका अच्छे कैदियों में नाम होने के साथ अधिक उम्र भी हो चुकी थी, लेकिन जेल से रिहाई के लगभग तीन महीने पूर्व ही गौरी शंकर की हत्या कर दी गयी.
केन्द्रीय कारागार फतेहगढ़ में कानपुर देहात के अकबरपुर थाना क्षेत्र का रहने वाला 70 वर्षीय गौरी शंकर दहेज हत्या के आरोप में आजीवन सजा काट रहा था. बुधवार की रात दोनों एक ही बैरक में सोये हुए थे. पड़ोस में लेटे कैदी चंद्रहास ने लेटने वाले स्थान जो कि कच्ची ईंट से बने हुए है उसी से ईंट उखाड़ कर गौरी शंकर का सिर कुचल दिया. हत्या आरोपित चंद्रहास फतेहपुर कोतवाली क्षेत्र का रहने वाला है. वह भी हत्या के मामले में आजीवन सजा काट रहा है. दोनों आपस में रिश्तेदार बताये जा रहे हैं. आनन फ़ानन में उसे लोहिया अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसकी हालत चिंता जनक बताते हुए कानपुर के लिए रेफर कर दिया. कानपुर पहुंचने से पहले ही उसकी कन्नौज में मौत हो गई.
मौजूदा समय में 2200 बन्दी सेंट्रल जेल में बंद हैं. जेल की बैरकों की दीवारें व बंदियों के लेटने के लिए स्थान कच्चे बने हुए हैं. इस वजह से कैदी ने ईंट उखाड़ कर घटना को अंजाम दिया. वहीं मृतक के साले सन्दीप दीक्षित ने बताया कि आरोपित दिमाग से कमजोर है. उसी के कारण उसने बहनोई की हत्या कर दी है. अपर पुलिस अधीक्षक त्रिभुवन सिंह ने बताया कि मामले की जांच पड़ताल की जा रही है. कैदी चंद्र हास ने क्यों अपने साथी की हत्या कर दी.
सूत्रों की मानें तो सेंट्रल जेल में बन्द कैदियों का आपस में झगड़ा होता रहता है, लेकिन उन कैदियों को अलग अलग बैरकों में नहीं किया जाता. दूसरी तरफ जेल प्रशासन सावधानी बरते तो इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सकता है, लेकिन जब कभी भी जेल में कोई घटना घटती है तो जेल अधीक्षक सामने नहीं आते हैं. जेल में कई बार मारपीट हुई. कई कैदी घायल भी हुए. उनका इलाज जेल के अंदर ही कराया जाता है. जब घायल कैदी में कुछ बचाने के काबिल नही रह जाता तो उसको लोहिया अस्पताल भेज दिया जाता है. लोहिया अस्पताल में अभी तक ज्यादातर कैदियों को मृतक अवस्था मे लोहिया अस्पताल लाया जा चुका है. जेल के अंदर की घटना जब बाहर आती है जब कोई कैदी की हत्या कर दी जाती है. जिसका मुख्य कारण शव को जेल में कब तक रख सकते हैं.
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