राम सुन्दर मिश्र
वाराणसी. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तारीकरण के तहत पीएम मोदी के चल रहे ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कारीडोर के काम के तहत अधिग्रहित भवनों के तोड़े जाने के दौरान हैरान करने वाली तस्वीरे सामने आ रही है. जिसमें चंद्रगुप्त काल से लगायत मंदिरों सहित हजारों साल प्राचीन मंदिर निकलकर सामने आ रहे हैं. दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी मानी गई काशी को यूँ ही नहीं ओलडेस्ट सिटी ऑफ़ द वर्ल्ड कहा जाता है.
इसकी प्रमाणिकता एक बार तब फिर साबित हुई है, जब एक से बढ़कर एक खूबसूरत नक्काशी वाले शिल्प कला की जिंदा मिसाल वाले दर्जनों मंदिर इतिहास के पन्नों से निकलकर सामने आ गए हैं. मिसाल के तौर पर काशी के मणिकर्णिका घाट किनारे दक्षिण भारतीय स्टाइल में रथ पर बना यह अद्भुत भगवान शिव का मंदिर जिसमें समुद्र मंथन से लेकर कई पौराणिक गाथाएं उकेरी गई हैं.
इसके अलावा इसके सामने भी दिवारे से ढका भगवान शिव का मंदिर मिला. इतना ही नहीं हूबहू श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की प्रतिमूर्ति वाला मंदिर मिला है. इसमें कुछ मंदिर तो चंद्रगुप्त काल और उससे भी पुराने माने जा रहे हैं. मंदिरों के मिलने से लोगों में हर्ष है और खुशी भी कि जो प्राचीन मंदिर इतिहास के पन्नों में दबे हुए थे वे अब सामने आ रहे हैं, और अब इसका रख रखाव प्रशासन करेगा.
केन्द्र और प्रदेश सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर को लेकर अब काफी तेजी देखने को मिल रही है. इस तेजी का नतीजा यह हो रहा है कि अब तक मंदिर प्रशासन को मंदिर विस्तारीकरण के तहत जिन 296 भवनों को खरीदना था, उनमें से 175 की रजिस्ट्री हो चुकी है और 96 खरीदे गए मकानों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई चल रही है, जबकि 40 मकानों को जमींदोज कर दिया गया है. सबसे बड़ी बात यह है कि इन मकानों को गिराए जाने के दौरान इनके अंदर छिपे कुछ अद्भुत मंदिर और पुरातन समय की मूर्तियां सामने आ रही हैं, जो अपने आप में काशी की संस्कृति और सभ्यता को दर्शाने का काम कर रही हैं. ऐसा ही एक मंदिर मणिकर्णिका घाट जाने वाले रास्ते में मिला है, जो मकान के अंदर पूरी तरह से कवर था. इस मंदिर का निर्माण काले पत्थर पर बेहतरीन नक्काशी के साथ किया गया है. यह भगवान भोलेनाथ का मंदिर सौ साल पुराना बताया जा रहा है. बताया जा रहा है कि इसके शिखर को छत बनाकर कब्जा कर लिया गया था और पूरा मंदिर अंदर मकान में पैक था. अब जब विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का डीपीआर भी तैयार है तो मंदिर के काम में तेजी आने पर अब यह पुरातन मंदिर और मूर्तियां सामने आ रही हैं. विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का निर्माण केन्द्र सरकार की प्लानिंग के तहत शुरू हुआ था, लेकिन प्रदेश में बीजेपी की गवर्नमेंट बनने के बाद इसमें तेजी आई. हाल ही में मुख्यमंत्री के लगातार वाराणसी दौरे के बाद मंदिर प्रशासन ने मंदिर कॉरीडोर निर्माण को काफी तेज कर दिया है.
वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि पहली बार किसी कंपनी को इस काम के लिए अधिकृत किया गया है. इनके साथ कॉन्ट्रैक्ट भी साइन होने को है. माना जा रहा है कि जल्द ही मंदिर विस्तारीकरण के काम में और तेजी आ जाएगी. यह श्रद्धालुओं को दी जाने वाली सुविधाओं के विस्तारीकरण करते हुए कॉरिडोर का रास्ता और क्लियर हो जाएगा.
मुख्य कार्यपालक अधिकारी का कहना है कि सबसे बड़ी बात यह है कि जिस कंपनी को काम सौंपा गया है, उसने पुरातन चीजों को सुरक्षित और संरक्षित करते हुए कॉरिडोर निर्माण की बात कही है, जिसकी वजह से उन्हें काम दिया गया है. यह कंपनी जल्द ही काम शुरू कर देगी. उन्होंने बताया कि यह विशेष रुप से ध्यान रखा जा रहा है कि जितने भी पुरातन चीजें या मंदिर सामने आ रहे हैं उनको संरक्षित करते हुए काम आगे बढ़ाया जाए, क्योंकि लोगों ने इन पर कब्जा करके रखा था. इसलिए इनका मूल स्वरुप सबके सामने रखना बेहद जरूरी है.
इसके तहत कॉरिडोर के पहले चरण में मंदिर और आसपास का इलाका है, जबकि तीसरे चरण में गंगा घाट के किनारे के इलाके को शामिल किया गया है. इसलिए पहले चरण का काम इसलिए शुरू हुआ है ताकि श्रद्धालुओं को सुविधाएं मिलनी शुरू हो जाएँ और तीसरे चरण में घाट से जो मंदिर का लुक है वह भी समझ आने लगे.
बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर एक नजर में
25 हजार वर्ग मीटर में रहेगा कॉरिडोर.
296 भवनों को खरीदना तय हुआ.
इनमें 227 निजी संपत्तियां हैं.
175 की रजिस्ट्री हो चुकी है.
31 सेवइत के भवन. 11 का हुआ राजीनामा. 13 मंदिर का होना है अधिग्रहण. 5 परिसंपत्तियां नगर निगम की. 21 परिसंपत्तियां ट्रस्टों की हैं. 96 भवनों का चल रहा है ध्वस्तीकरण.
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